शैवाल किसे कहते हैं शैवाल कितने प्रकार के होते हैं?

शैवाल किसे कहते हैं
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शैवाल किसे कहते हैं?

हेल्लो दोस्तों स्वागत है आपका हमारी हिंदी बायोलॉजी की वेवसाइट पर। आज के आर्टिकल में हम आपको शैवाल किसे कहते हैं? शैवाल कितने प्रकार के होते हैं? शैवाल की परिभाषा क्या है? तथा शैवाल के लक्षण कौन कौन से होते हैं? इसके साथ साथ हम आपको हरा शैवाल किसे कहते हैं? लाल शैवाल किसे कहते हैं? इसके बारे में विस्तार के साथ बताएँगे। शैवाल किसे कहते हैं ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है जो परीक्षाओं में पूँछ लिया जाता है इसमे हम आपको शैवाल के वारे में विस्तार के साथ शैवाल के बारे में बताएँगे। जिससे आपको शैवाल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।

पिछले आर्टिकल में हमने आपको कोशिका किसे कहते हैं? इसके बारे में बताया। जो एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है। जिसे साइंस के सभी स्टूडेंट को पता होना चाहिए। यह टॉपिक हमारे जीवन की मुख्य इकाई पर आधारित है? इससे सम्बंधित प्रश्न परीक्षाओं में पूँछ लिए जात्ते हैं। इस महत्वपूर्ण टॉपिक को आप हमारी हिंदी बायोलॉजी की वेवसाइट पर पढ़ सकते हैं और अपनी मालूमात को बढ़ा सकते हैं। आज का आर्टिकल शैवाल किसे कहते हैं? यह टॉपिक भी पहत्वपूर्ण है। इस टॉपिक के बारे में विस्तार के साथ जानने के लिए आज के इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।

डीएनए फुल फॉर्म

शैवाल की परिभाषा (शैवाल किसे कहते हैं?)

शैवाल क्लोरोफिल युक्त होते हैं। यह स्वपोषी तरल पौधे होते हैं। इसमें जड़, ताना, पत्ति, नहीं होती है। शैवालो का अध्यन एल्गोलॉजी या फाईकोलॉजी में किया जाता है। शैवाल पादप जगत का सबसे तरल पदार्थ होता है। जो सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपने लिए भोजन का निर्माण करता है। शैवाल स्वपोषी होते हैं इसमें हरित लवक (Chlorophyll) पाया जाता है। इनका शरीर Thalloid होता है। ये नदी के जल, तालाब के जल , झरनों और कीचड़ में पाए जाते हैं। बर्फ पर जो शैवाल पाए जाते हैं उन्हें क्रिप्टोफाइट्स कहते हैं तथा जो शैवाल चट्टानों पर पाए जाते हैं। उन्हें लिथोफाइट्स कहते हैं। यह एक Poliphyletic समूह है जिसमे कई प्रकार के अलग अलग समूहों में प्रजातियाँ पाई जाती हैं। शैवाल प्रजनन सम्बन्धी विस्तृत श्रंखला का को दर्शाते हैं। जो सरल अलैंगिक कोशिका विभाजन से लेकर यौन प्रजनन के जटिल रूपों तक होती है। शैवालो में विभिन्न पौधों की कमी होती है जो भूमि के पौधो की विशेषता रखते हैं।

शैवाल नदी के जल, तलाव, गर्म पानी के झरनों, नामीयुक्त स्थानों, कींच वाले स्थानों में पाए जाते हैं। ये पेड़ पौधो के तानो तथा चटानो पर भी पाए जाते हैं।कुछ शैवाल अधिपादप के रूप में अन्य पौधो पर भी पाए जाते हैं। जैसे- Oedogoniyam । Protoderma एक ऐसा शैवाल है जो कछुए की पीठ पर उगता है। क्लेड़ोफोरा नाम का एक शैवाल होता है जो घोंगे के ऊपर रहता है। इसके अलावा कुछ शैवाल ऐसे भी होते हैं जो जंतुओं के शरीर के अन्दर भी अपना वास करते हैं। जैसे- हाईड्रा के शरीर में एक शैवाल पाया जाता है उसका नाम Zoocholorella होता है। Zoocholorella तथा hydra का सम्बन्ध सहजीवन का उदाहरण है। कुछ शैवाल परजीवी भी होते हैं। सिफेल्यूरोस नामक शैवाल चाय काफी आदि की पत्तियों पर पाया जाता है। सबसे छोटा शैवाल क्लोडिमोनस होता है, और सबसे बढ़ा शैवाल माइक्रोसिस्टिस होता है।

शैवाल के प्रकार (शैवाल किसे कहते हैं?)

शैवाल एक प्रकार का पौधा होता है जो स्वपोषी होता है। अब आप के मन में सवाल आता होगा की स्वपोषी किसे कहते हैं तो आप को बता दें स्वपोषी का अर्थ होता है स्वमं भोजन बनाने वाला अर्थात यह सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश सस्लेषण की क्रिया द्वारा स्वमं भोजन बना लेते हैं। यह अधिकांशता नदी, तालाबो और वृक्षों पर पाए जाते हैं। शैवाल किसे कहते हैं? ये जानने के बाद अब हम इसके प्रकार के बारे में जानेंगे। ये मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं। जो निम्नलिखित हैं।

  1. साइनोफाइटा – ये शैवाल नील हरे होते हैं। 
  2. यूग्लीनोफाइटा – एक कोशकीय तथा हरे रंग के जंतुओं की तरह भोजन ग्रहण करने की क्षमता रखने वाले शैवाल।
  3. क्लोरोफाइटा – इसमें भोजन मंद के रूप में और प्रोटीन से बनी पाइरीनाइड पर संचित रहता है।

शैवाल के प्रकार

शैवाल के लक्षण

आपने ऊपर के आर्टिकल में शैवाल किसे कहते हैं? शैवाल की परिभाषा को जाना। अब हम आपको शैवालों के लक्षण के बारे में विस्तार के साथ बताएँगे। शैवालो के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं।

  • शैवालों में भोज्य पदार्थों का संचय मंड (starch) के रूप में होता है।
  • शैवालों में पाई जाने वाली कोशिका भित्ति सेल्यूलोज की बनी होती है।
  • ये अधिकांशता जलीय होते हैं।
  • शैवालों का जननांग एककोशकीय होता है।
  • कुछ शैवाल नमीयुक्त वाले स्थानों पर भी पाए जाते हैं।
  • इसमें लैंगिक जनन के फलस्वरूप भूर्ण नहीं होता है।
  • शैवालों में प्रकाश संश्लेषण के लिए हरा वर्णक क्लोरोफिल पाया जाता है।
  • इनमे प्रजनन लैंगिक तथा अलैंगिक दोनों ही विधियों के द्वारा होता है।
  • शैवालों का शरीर थैलास सामान होता है अर्थात जड़, तना तथा पत्ति नहीं पाई जाती है।
  • शैवालो में तीन प्रकार के वर्णक पाए जाते हैं। जिनमे हरा, लाल और भूरा वर्णक होता है। इन वर्णको के कारण ही शैवालो को तीन भागो में बता गया है। जो निम्नलिखित हैं।
  1.  क्लोरोफाइसी (Chlorophyceae) – यह हरा वर्णक होता है।
  2. रोडोफाइसी (Rhodophyceae) – यह लाल वर्णक होता है।
  3. फीयोफाइसी (Pheophyceae) – यह भूरा वर्णक होता है।

शैवाल के लक्षण

लाल शैवाल, हरे शैवाल और भूरे शैवाल में अंतर

आपने ऊपर के आर्टिकल में शैवाल की परिभाषा, शैवाल कितने प्रकार के होते हैं? इसके बारे में जाना। अब हम आपको शैवालो में अंतर के बारे में बताएँगे। लाल शैवाल, हरे शैवाल और भूरे शैवाल में मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं।

लाल शैवाल

  • यह रोडोफाइसी  वर्ग में पाया जाता है।
  • इसमें क्लोरोफिल a,b और फाइकोइरिथ्रिन नामक वर्णक पाया जाता है।
  • इसमें भोजन क्लोरोडियन starch के रूप में भोजन संचित रहता है।
  • इसकी कोशिका भित्ति सेल्युलोज + पोलिफास्फेट एस्टर की बनी होती है।

हरे शैवाल

  • यह शैवाल क्लोरोफाइसी वर्ग में पाया जाता है।
  • इसमें पाया जाने वाला वर्णक क्लोरोफिल a , b होता है।
  • इसमें भोजन starch के रूप में संचित रहता है।
  • इसकी कोशिका भित्ति पेप्टोज + सेल्युलोज की बनी होती है।

भूरे शैवाल

  • यह शैवाल फीयोफाइसी वर्ग में पाया जाता है।
  • इसमें पाया जाने वाला वर्णक क्लोरोफिल a , c फ्यूकोजेथिन होता है।
  • इसमें भोजन मैनीटॉल के रूप में संचित रहता है।
  • इसकी कोशिका भित्ति सेल्यूलोज + एल्जीन की बनी होती है।

बीएससी क्या है?

निष्कर्ष (शैवाल किसे कहते हैं?)

आज के इस आर्टिकल में हमने आपको शैवाल किसे कहते हैं? शैवाल कितने प्रकार के होते हैं? शैवाल की परिभाषा क्या है? तथा शैवाल के लक्षण कौन कौन से होते हैं? इसके साथ साथ हम आपको हरा शैवाल किसे कहते हैं? लाल शैवाल किसे कहते हैं? तथा भूरा शैवाल किसे कहते हैं? इनके अंतर क्या क्या होते हैं इसके बारे में बताया है। इसी प्रकार के महत्वपूर्ण टॉपिक की जानकारी हम अपनी हिंदी बायोलॉजी की वेवसाइट पर देते रहते हैं। इसी तरह की नई नई जानकारी प्राप्त करने के लिए जुड़े रहिए हमारी हिंदी बायोलॉजी की वेवसाइट के साथ तब तक के लिए धन्यवाद।

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